कहानी = "शक्ति"---------------------- रात के 3:00 बजे थे भोपाल स्टेशन पर रेल की आने की आहट पाकर सारे ऑटो वालों की हलचल तेज हो गई थी।भले हो भी क्यों नहीं रात में ही तो कमाई का सही समय है क्योंकि कोई भी सवारी रात का अधिक रुपए देने के लिए थोड़ी ना नुकुर के बाद मान ही जाती है एक तो रात का समय होता है इसलिए रामदास को भी आती सवारी के पीछे -आगे आकर के चलिए,..भाई साहब कहां चलना है चलिए,.... मेरा ऑटो यहीं पर खड़ा है।चलो मैं बड़े आराम से ले चलता हूं एक सवारी रामदास से