पगडंडी...

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सुदूर जंगलों में जहाँ तक चौड़ी राहें न जाती, न आती हैं. लोग अपनी पुरानी मान्यताओं में जकड़े हुए हैं. जहाँ कई प्रसव जंगल में घास काटने, महुआ बीनने या लकड़ी इकठ्ठा करते हुए हो जाते हो. वहां से यदि कोई महिला अस्पताल में प्रसव का प्रण लेती है, तमाम शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ झेलते हुए भी अस्पताल तक पहुंचती है अर्थात विषम परिस्थिति में, बिना किसी के सहयोग के अपना निर्णय स्वयं लेती है और उस निर्णय पर कायम रहने का जोखिम उठाती है तो यह वास्तविक स्त्री सशक्तीकरण है.