जिस नए स्कूल में कुछ मुश्किल से सुयश का एडमिशन हुआ था, वहाँ हो रही आवधिक परीक्षाओं में क्रमशः उसका रिजल्ट गिरने लगा। वह अपनी उम्र से अधिक चिड़चिड़ा हो गया था। उसके मनोजगत की गाड़ी मानो किसी रिवर्स गियर में चली जा रही हो। स्कूल-शिक्षक और होम-ट्यूटर के प्रश्नों का उत्तर भी वह बड़े अनमनस्क भाव से देने लगा था। यह उसके प्रसन्नचित्त स्वभाव के विपरीत था। दिल्ली में तो वह कितना ख़ुशमिज़ाज और पढ़ाई से लेकर खेलकूद तक सभी में अव्वल आनेवाला स्कूल-पड़ोस का एक स्टार-ब्यॉय था।