ख़्वाबगाह - 2

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बेशक इस पूरे घटनाक्रम में मेरा कुसूर नहीं है लेकिन....। इस लेकिन का मेरे पास कोई जवाब नहीं है। ऐसे कैसे हो गया कि जिस आदमी के लिए मैंने अपना सर्वस्व निछावर कर दिया, अपना दीन ईमान, चरित्र, परिवार, पति, अपने बच्चे सब को पीछे रखा और सिर्फ उसके लिए पिछले 12 वर्षों से हलकान होती रही, उससे मिलने के लिए, संबंध बनाए रखने के लिए हर तरह के रिस्क उठाती रही, उसने मेरे ही घर पर आ कर मुझे थप्पड़ मारे। एक नहीं दो, और वह भी काम वाली नौकरानी के सामने।