दास्तान-ए-अश्क - 16

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" खामोश रहने से दम घुटता है ! और बोलने से जुबान छिलती है डर लगता है नंगे पांव चलने से पांव के नीचे कोई  कब्र हिलती है!"            दास्तान.... आज सुबह से ही उसका सर बहुत भारी था! उसने जैसे ही उठने की कोशिश की चक्कर आए... उल्टी जैसा हुवा ! बडी मुश्किल से उठकर भारी कदमों से वो अपनी सास के पास आई! गभराहट के साथ डरती डरती बोली..! "मम्मी जी..  पता नही आज मुझे  क्या हो रहा है! मेरा सर बहोत भारी हो गया है लगता है जैसे उल्टी हो जायेगी!!" उसकी सासुमा एकटुक उसे देखते हुई