बहुत अर्से पहले की बात हैं जब मैं छोटा था, समय की इस छलांग लगाकर वह जगह आज वापस जाने का मन कयों होगया वो पता नहीं, पर बहुत अजीब था वो समय | जब हमें सिर्फ हमारी दुनिया ही सब से अच्छी लगती थी, मतलब हम जिन्हे पहचानते थे, उतनी ही हमारी दुनिया होती थी | एक दम रियल, जिसे हम बुलाये तो वो सुन सकते थे जवाब दे सकते थे | लेकिन अब वो बात कहाँ, अब तो हमारे दोस्त रियल में कम और सोशियल साइट्स पे ज़्यादा हैं | पापा का डाटना और मम्मी का सहलाना जैसे