(1)पार्ट प्यार बारे मे कई ग्रंथ लिखे गए, हर ग्रंथ मे प्यार को अलग एंगल से देखा गया, ओर पढ़ने वालो ने भी अपनी अपनी सुहलयत से उसे अपनाया, कई रिश्तों मे प्यार विवाहिक जीवन के बाद हुवा तो कोई, शादी से पहेले वाला प्यार, पर प्यार कभी किसीका पूरा नहीं हुवा, अधूरा ही रहा तभी तो प्यार का शब्द हो ही अधूरा लिखा है, कुछ ऎसी ही कहानी मे आज लाया हू समाज के हिसाब से ये शायद सावधान इंडिया का एपिसोड बन सकता है, या एक अधूरी प्रेम कहानी ये आपकी सोच पे निर्भर करता है, राज