उसने नीचे झुककर जूतों में पैर डालने की कोशिश की, एड़ी ऊपर करके पंजे को जूते के सोल के साथ-साथ भीतर सरकाने की बेतरह कोशिश की, आड़ा-तिरछा किया मगर पंजा था कि हमेशा की मानिंद ज़िद्दी बना रहा था । उसने दाहिने कुल्हे पर बनी पॉकिट में हाथ डालकर कुछ टटोला फिर स्टील का चप्पा निकालकर बारी-बारी से दोनों पंजों को जूते के भीतर सरका लिया । लेस वह खोलता ही नहीं सो बाँधने का झंझट ही नहीं । बचपन में उसे बड़े चाचा ने सिखाया था एक बार-