क्या सही और क्या गलत फैसला आसान नहीं था। जिसे मैं सही कह रही थी शायद बिलकुल गलत था। विजय हमें यूँ अकेले छोड़ कर अपनी अलग दुनिया बसा ले और मैं कुछ ना कहूँ शायद ये गलत था। लेकिन उन्हें प्यार किया था, उनके व्यवहार की कायल थी मैं। उन अंतरंग क्षणों में जब कुछ पल के लिये ही सही वो मेरे थे सिर्फ मेरे और उनके प्यार से सराबोर उनके अंश को धारण करने के बाद उनकी वो चिंता देखभाल राहुल को गोद में लेकर प्यार से दमकती उनकी आँखें मुझे विश्वास करने पर मजबूर कर देती हैं कि उन्होंने भी मुझे दिल से चाहा था बस उस चाहत की उम्र कम थी।