हवाओं से आगे - 9

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शिखा ने बरसों बाद फ़िर से कलम चलाना शुरू किया है वह भीतर से कितनी घबराई हुई है “न जाने फिर से विचार उपजेंगें या नहीं ? भावनाएँ जो बरसों-बरस दिल-ओ’ दिमाग में सुसुप्त पड़ी थीं वे पुनः जागृत होकर इन नए हालातों में नए विषयों से प्रभावित होंगी या नहीं ?” “तुम इन सवालों से ऊपर उठकर सोचों, शिखा !” प्रशांत उसका हौसला बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते “हम्म...जानती हूँ किन्तु यही सवालात तो मुझे लिखने को प्रेरित करेंगे ” “तुम वहीं से शुरुआत करों जहाँ से तुमने फिर से कलम थामने का निश्चय किया है ”