स्त्री

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"स्त्री" स्त्री, एक शब्द जो देखने में अधूरा है, लेकिन अपने अंदर समेटे संसार पूरा है, सुनने में अक्सर आता है, घर में बिटिया हुई है, कहीं खुशी का सागर है तो कहीं लगता है, किसी की लुटिया डुबी है।। कभी न सुना न देखा, बेटा आया बोझ आया, हमारे घर में मातम छाया, काश ये दोनों बातें एक हो जातीं, बेटा हो या बेटी, सबके घरों में बराबरी से सोहरें गवातीं।। प्यार से बेटियों को बेटा बुलाते हैं, तो फिर बेटों को बेटियों