शिखा के घर के दरवाजे के आगे तीन चार सीढ़ियां थी । दीपा उन्हीं पर बैठकर सुबकने लगी, रोहन सकते में था। कुछ पल खड़ा रहा है फिर तेज कदमों से चलता हुआ निकट के रखे गमले को ठोकर मारता हुआ गाड़ी में जाकर बैठ गया। दीपा भी चुपचाप गाड़ी में जाकर बैठ गई । लौटते हुए लग रहा था मानो यात्रा खत्म ही नहीं हो रही हो, जैसे गाड़ी आगे बढ़ ही नहीं रही थी। घर पहुंचे तो थक कर बुरा हाल था, ना सुबह से कुछ खाया था न पिया था । जिस काम से गए थे उसका कुछ परिणाम नहीं निकला, आने जाने में आठ दस घंटे लग गए ।