मज़दूरी

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लूट खसूट का बाज़ार गर्म था। इस गर्मी में इज़ाफ़ा होगया। जब चारों तरफ़ आग भड़कने लगी। एक आदमी हारमोनियम की पेटी उठाए ख़ुश ख़ुश गाता जा रहा था...... जब तुम ही गए परदेस लगा कर ठेस ओ पीतम प्यारा, दुनिया में कौन हमारा। एक छोटी उम्र का लड़का झोली में पापडों का अंबार डाले भागा जा रहा था...... ठोकर लगी तो पापडों की एक गड्डी उस की झोली में से गिर पड़ी। लड़का उसे उठाने के लिए झुका तो एक आदमी जिस ने सर पर सिलाई की मशीन उठाए हुए था उस से कहा। “रहने दे बेटा रहने दे। अपने आप भुन जाऐंगे”।