बिल्लो की भीष्म प्रतिज्ञा - 2

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गाड़ी आगे जैसे-जैसे बढ़ रही थी मन में बसी गांव की तस्वीर साफ होती जा रही थी। मगर सामने जो दिख रहा था वह बहुत कुछ बदला हुआ दिख रहा था। पहले के ज़्यादातर छप्पर, खपरैल वाले घरों की जगह पक्के घर बन चुके थे। लगभग सारे घरों की छतों पर सेटेलाइट टीवी के एंटीना दिख रहे थे। अब घरों के आगे पहले की तरह गाय-गोरूओं के लिए बनीं नांदें मुझे करीब-करीब गायब मिलीं। चारा काटने वाली मशीनें जो पहले तमाम घरों में दिखाई देती थी वह इक्का-दुक्का ही दिखीं। जब नांदें, गाय-गोरू गायब थे तो चारे की जरूरत ही कहां थीं? जब चारा नहीं तो मशीनें किस लिए? खेती में मशीनीकरण ने बैलों आदि चौपाओं को पूरी तरह बेदखल ही कर दिया है।