अमृता प्रीतम के इमरोज़ से मेरा मिलना..एक यादगार लम्हा एक ज़माने से तेरी ज़िंदगी का पेड़ कविता फूलता फलता और फैलता तुम्हारे साथ मिल कर देखा है और जब तेरी ज़िंदगी के पेड़ ने बीज बनाना शुरू किया मेरे अंदर जैसे कविता की पत्तियाँ फूटने लगी हैं.