दोनों दोस्तों की नज़रें फ़ोन पर पडी जो डाइनिंग टेबल पर सामने ही रखा था. फ़ोन से नज़रें उठा कर रेचल ने देखा तो सविता दहशत ज़दा चेहरे से आँखें गडाए फ़ोन को घूर रही थी. उसका चेहरा काला पड़ गया था. होंठ सूख गए थे. चाय का कप होठों से लगाए बिना उसने मेज़ पर रख दिया था. रेचल ने सविता के हाथ पर सांत्वना भरा हाथ रखा, दूसरे हाथ से फ़ोन उठाया और कॉल रिसीव की.