मनुष्य समझता है कि सब अच्छे लोग ओर अच्छा वक्त हमेशा दुख के बाद आता है। पर जब दुख आता है तो लोग सोचते है कि कहीं हम भी कोई आपदा न आजाये इसलिये वो दूरिया बना लेते है। अर्थात-सुख में सुमिरन सब करे, दुख में करे न कोय।जो दुख में शूम रण सब करे तो दुख काहे को होयय।। मनुश्या की जात ही ऐसी है विस्वास पर जी रही है। मेरा एक दोस्त (आर्यमन) है जो भगवान की देन से उसके साथ हमेशा बुरा ही होता है बल्कि लोगो के लिए लकी है जिसको जो अच्छा बोल दे वही हो