अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. वहाँ एक दुकान पर उसे एक नारी कंठ सुनायी देता है. वह चेहरा नहीं देख पाता. उसे शची की आवाज़ लगती है और वह परेशान हो उठता है. अपने गेस्ट हाउस में लौट वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी.. मनीष उसे शची का नाम ले छेड़ने लगा था. पर वह अपने मन को नहीं समझ पा रहा था. पर जब शची ने स्टेज पर आँखें उठाकर कुछ ऐसी नज़रों से देखा कि उसने बहुत कुछ पढ़ लिया उसकी आँखों में.