टाई और धोती

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वह बालों में तीसरी बार कंघी फेर रही थी, मगर फिर भी संतुष्ट नहीं थी। एक ओर के बाल उसे उठे-उठे लग रहे थे। उसने बालों में लगा छोटा सा क्लिप फिर खोल दिया। सिर के बीचों-बीच बँधे चुटकी भर बाल फिर छूटकर कानों के पास आ गिरे। उसने शीशे में ताकती अपनी ही आँखों से सवाल किया कि पिछली बार भी इतनी ही तन्मयता से तैयार हुई थी न और क्या हुआ? उसके नथुने फूल गए और उसने कंघी को हवा में छड़ी की तरह दिखाते हुए आईने के उस पार बैठी सुप्रिया को दाँत कटकटाते हुए कहा – “मुँह