साहिर से अमृता का जुडाव किसी से छिपा नही है उन्होंने कभी किसी बात को लिखने में कोई बईमानी नही कि इस लिए यह दिल को छू जाता है और हर किसी को अपनी जिन्दगी से जुडा सच लगता है अपनी लिखी आत्मकथा रसीदी टिकट में उन्होंने एक वाकया तब का ब्यान किया है जब उनका पहला बेटा नवरोज़ होने वाला था