64 वफ़ाई के मन में कई योजनाएँ आकार ले रही थी। रोग तथा मृत्यु से अधिक मृत्यु का भय और दिलशाद के द्वारा किया गया विश्वासघात जीत की समस्या है। जीत में जीवन अभी भी बाकी है। जीत अब जीना चाहता है। पहाड़ों पर जाना चाहता है। हीम से लड़ना चाहता है। उससे ही रोग की दवा भी चाहता है। तो तुम कुछ करो ना? मैं क्यूँ करूँ कुछ? इस क्यूँ का जवाब तो तुम भली भांति जानती ही हो। मुझ से क्यूँ पूछती हो? नहीं। बिलकुल नहीं जानती। तुम ही बताओ ना? देखो बता तो दूँ, किन्तु स्वीकार