मेरा डर के मारे दम उखड़ने लगा था ।मैं तो ढंग से बोल भी नहीं पा रहा था। तभी झर-झर की आवाज करते हुए बल्ब जला, और चरमराती आवाज के साथ पंखा भी चल पड़ा था। बिजली आ गई थी, राकेश मेरी बांह पकड़ कर रो रहा था। मैं मरना नहीं चाहता.... मैं मरना नहीं चाहता.. बचा लो मुझे। तभी अचानक से पंखा घूमते हुए उसके कंधे पे जा गिरा और राकेश वही बेहोश हो गया।मैं रोने चीखने के अलावा कुछ नहीं कर पाया। मेरे और राकेश दोनों के फोन बैटरी फुल होने के बाद भी बंद हो चुके थे।