लगे नाचने अक्षर

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लगे नाचने अक्षर -मनोहर चमोली ‘मनु’ वेलिया ने स्कूल से मिला होमवर्क पूरा किया। स्कूल बैग खोला। पेंसिल-काॅपियां रखकर वह खेलने चली गई। वेलिया के जाते ही अक्षर और पेंसिल में बहस छिड़ गई। सारे अक्षर एकजुट हो गए। पेंसिल अलग-थलग पड़ गई। अ बोला-‘‘हम हैं तो तुम हो। हम न होते तो तुम्हें कौन पूछता।’’ पेंसिल पीछे क्यों रहती। कहने लगी-‘‘मेरे कारण ही तुम्हारी पहचान है। मैं नहीं होती, तो तुम्हें कौन पूछता !’’ क बोला-‘‘हम बहुत सारे हैं, तुम अकेली हो। हम तुम्हें कुछ नहीं समझते।’’ बैग में रबड़ भी था। वह बोला-‘‘किसी को अकेला देख सताना ठीक नहीं।’’