“लाडो ससुराल में काम से सबका मन जीत लेना ! ससुराल में इंसान की नहीं उसके काम की कदर होती है ।” बस नानी की उसी युक्ति को रामप्यारी ने अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया था । घर के काम-काज के बाद पति के पहलू से लगी रामप्यारी के सबसे ख़ुशनुमा क्षण होते थे पंद्रह की उम्र में रामप्यारी ने मुरारी को जन्म दिया था पुत्ररत्न ने उसे ससुराल की आँखों का तारा बना दिया था रामप्यारी सोचती कि क्या होता जो वह एक बेटी को जन्म देती ? क्या तब भी सब उसे इसी तरह स्नेह और आदर देते ? शायद नहीं... ख़ैर ! रामप्यारी वह सब सोचना नहीं चाहती