हर घड़ी तुमको गाता हूँ

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1. हर घड़ी तुमको गाता हूँ महकने लगी सारी गलियां, बहकने लगा भ्रमर मन मीत, लगाया है तुमने जो रोग, पहर हर पहर बढ़ाकर प्रीत, अपने मन के मंदिर में मैं, तुम्हें हरपल ही पाता हूँ, है नहीं याद मुझे कुछ और, हर घड़ी तुमको गाता हूँ। तेरे बिन जिंदगी का पथ, बड़ा मुश्किल सा लगता था, तेरे आ जाने से राहों में मेरी, घास उग आई, ये माना कि नहीं हूँ आदमी, मैं दस करोड़ी का, बजेगी बाँसुरी खुशियों की, अब ये आस उग आई, मुझे