तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 23

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रिफ्रेशर के लिए अप्पी इलाहाबाद थी। संयोग ही था सुविज्ञ परिवार सहित इलाहाबाद आ रहे थे भांजे की शादी में ... अप्पी के रिफ्रेशर कोर्स के अन्तिम चार दिन बचे थे ... जब सुविज्ञ ने फोन पर उसे बताया था...‘‘हम मिल सकते हैं..।’’ ‘‘नहीं।’’ अप्पी ने कहा था... ‘‘क्यो जान.? फिर पता नहीं कब मौका मिले।’’