गाडी रुकते ही पगलाई सी जिया जंगल की ओर भागी जैसे इस जमी से बखूबी परिचित हो..!सुल्तान नें एक उडती नजर अपनी लिनिया पर डाली! भुमि पर सुखे पत्तौ की परत बिछी थी तभी तो पांव बजने लगे थे..! जो गुलशन की कोख मे पल रहा था! राक्षसी पेड़ों के घेरे में छुपकर बैठे गिद्घ अभी भी गोश्त के लोथडों के साथ एक दूसरे से छीना-झपटी कर रहे थे! वह खूंखार जानवर आक्रमक रूप अख्तियार कर के अधमरे किसी भी जीव पर धावा बोलने हमेशा तत्पर रहते.! एक दुसरे पर हमले के वक्त निकलती उनकी आवाजो ने जंगल के माहौल