आधी नज्म का पूरा गीत - 18

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अमृता ने कहा कि आपने मेरी नज्म मेरा पता नज्म की एक सतर पढ़ी है -----यह एक शाप है.एक वरदान है..इस में मैं कहना चाहती हूँ कि यह सज्जाद की दोस्ती है, और साहिर इमरोज की मोहब्बत जिसने मेरे शाप को वरदान बना दिया आपके लफ्जों में अ शिव का प्रतीक है और ह शक्ति का ..जिस में से शिव अपना प्रतिबिम्ब देख कर ख़ुद को पहचानते हैं और मैंने ख़ुद को साहिर और इमरोज़ के इश्क से पहचाना है..वह मेरे ह है मेरी शक्ति के प्रतीक...और यह पढ़ कर जाना कि के इश्क उनके मन की अवस्था में लीन हो चुका है.और यही लीनता उनको ऊँचा और ऊँचा उठा देती है…