मिस्त्री

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उदय अपने जूते और कपड़े इधर-उधर फैला कर कुर्सी पर बैठ चुका था। दीपा ने बैग ,कपड़े समेट कर घर के कपड़े टेबल पर लाकर रखे और इषारा किया कि ‘ कपड़े बदल लो‘ पर गेम खेलने की बेताबी ने स्क्रीन पर से नजर हटाने नहीं दी। इस पर डपटते हुए आदेष दिया उसने। उसके लिये खाना और दूध टेबल पर लाकर रखा। खाना देखकर मुंह बिगाड़ा और दूध पीकर फिर खेलने में मषगूल हो गया। तभी बरामदे में से धप्प की आवाज आई। झांक कर देखा तेज धूप अपने विकराल रुप में पसरी थी। बेचारी छाया डरती-मरती कहीं इधर-उधर