ये मन का मौसम है न कब बदल जाये क्या कहिये। फिर हर दिन एक सा नहीं होता। एक बार मन पर उदासी का कोहरा छाया नहीं कि संभलते-संभलते वक्त लग ही जाता है। बहुत मूडी हो गई है आजकल स्वस्ति। उस दिन मन कुछ उदास था स्वस्ति का तो अलमारी से पापा की तस्वीर निकालकर बैठ गई। सामने पापा की तस्वीर थी और स्वस्ति जैसे ऐसी यादों में कहीं डूब गयीं जो उसने कभी देखी नहीं थी सुनी भर थीं।