हिम स्पर्श- 58

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58 वफ़ाई और जीत झूले पर थे, एक साथ, प्रथम बार, वास्तव में। दोनों एक दूसरे के अत्यंत समीप थे। “पिछले सात घंटों से हमने एक भी रेखा, एक भी बिन्दु चित्रित नहीं किया, जानते हो तुम जीत?” सात घंटों के मौन के पश्चात वफ़ाई ने कुछ शब्द कहे। “तो क्या हमने यह सात घंटे व्यर्थ नष्ट किए हैं?” जीत ने वफ़ाई को छेड़ा। “चित्र कला की द्रष्टि से कहें तो हाँ, हमने नष्ट किए हैं यह सात घंटे।“ वफ़ाई ने भी जीत को छेड़ा। वफ़ाई के अधरों पर नटखट स्मित था। जीत ने उत्तर में स्मित दिया। जीत