अमृता के लिखे यह लफ्ज़ वाकई उनके लिखे को सच कर देते हैं. उनके अनुसार काया के किनारे टूटने लगते हैं सीमा में छलक आई असीम की शक्ति ही फासला तय करती है जो रचना के क्षण तक का एक बहुत लम्बा फासला है एहसास की एक बहुत लम्बी यात्रा. मानना होगा कि किसी हकीकत का मंजर उतना है जितना भर किसी के पकड़ आता है.