हिम स्पर्श 55

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55 जीत वफ़ाई को देखता रहा। वह मार्ग पर दौड़ रही थी, जीत से दूर जा रही थी। जीत की आँखों से ओझल हो गई, रेत से भरे मार्ग पर कहीं खो गई। समय रहते वफ़ाई लौट आई। जिस मार्ग से बावली बनकर वफ़ाई दौड गई थी, जीत अभी भी वहीं देख रहा था। बल्कि, जीत वफ़ाई के लौटने की प्रतीक्षा कर रहा था। “मेरी प्रतीक्षा कर रहे हो तुम जीत, तुम ने मुझे मोह लिया। कितना अदभूत अनुभव होता है जब कोई तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हो। समय के कुछ क्षण व्यतीत होने पर भी जीत, तुम वहीं खड़े