मन की ख़ुशी

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ख़ुशी की तलाश में हम दूर तक गए इधर न मिली ,उधर ना मिली यहाँ ना मिली ,वहां ना मिली मिली तो मेरे मन में मिली बैठी थी एक कोने में लगी थी रोने -धोने में मैंने पूछा -ये क्या बात हुई ?नाम तो ख़ुशी ,और खोयी हो झमेलों में उसने कहा -तुम्हारी उदासी मुझे नहीं आने देती