51 नींद से उठकर वफ़ाई द्वार पर खड़ी हो गई। बाहर अभी भी रात्रि का साम्राज्य था। सब कुछ शांत था, स्थिर था। रात्रि धीरे धीरे गति कर रही थी। वफ़ाई ने झूले को देखा। जीत वहाँ बैठा था। “जीत सोया नहीं? अथवा जाग गया? ऐसा क्यों?” वफ़ाई मन ही मन बोली। वफ़ाई ने घड़ी देखि। रात्रि अधिक व्यतीत हो गई थी। आधी से अधिक रात्रि बीत चुकी है किन्तु जीत जाग क्यों रहा है? वह कोई गहन चिंतन में है अथवा चिंता में? कुछ क्षण मैं जीत को देखती हूँ। समझ में तो आए कि बात क्या है?