मीठी बात रस से भरी रसमलाई, गोल–गोल रसगुल्ले, काजू वाली बर्फी, राष्ट्रीय मिठाई जलेबी, हर त्यौहार की शान लड्डू, राष्ट्रीय पर्वों वाली मिठाई–बूँदी, सूखी मिठाई–सोनपापड़ी, जाड़े वाले तिल के लड्डू ‘उफ्फ ठंडी लग गयी’, न गुलाब सा और न जामुन सा लेकिन चाशनी में डूबा यम्मी वाला गुलाबजामुन, आ गया न मुँह में पानी। आना ही था मीठा है ही ऐसी चीज। इसीलिए तो त्यौहारों में खाया जाता है ताकि तन–मन को प्रसन्न कर दे। अक्सर खाने के बाद भी खाया जाता है ताकि खाये हुए तीखे, नमकीन, चटपटे को पचा दे। वैसे सोचने वाली बात यह है कि यह पुस्तक