अच्छाईयां - 6

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भाग – ६ सूरज सुनने को बेताब था की कोलेज की ऐसी हालत किसने की...? मगर दादाजी कुछ देर तक चुप रहे तो सूरज को दादाजी की खामोशी बैचेन करने लगी, उससे रहा न गया इसलिए वो बोला, ‘ मैंने देखा की मेरा नाम सुनते ही सारे स्टूडेंटस मुझे नफ़रत करने लगे.... मैंने देखा की कोलेज पहले जैसा नहीं है, यहाँ संगीत नहीं है... यहाँ पहले जैसी खुशीयाँ नहीं है... मुझे यहाँ सब बदलाबदला सा लगता है....! ऐसा क्यों...?’ सूरज फिर चुप हो गया दादाजी की आँखे अब सूरज पर थी, वो सूरज को अपने दिल की बाते सुनाना