सड़कछाप - 17

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बतरा को तब अमर की याद आयी जो तुनककर चला गया था कुत्ते का मल फेंकने की बात पर औऱ अपनी पन्द्रह दिनों की तनख्वाह भी नहीं ले गया था। बतरा को अमर जैसे ही खुद्दार और वफादार व्यक्ति की ज़रूरत थी भले ही वो ज्यादा पढ़ा-लिखा और होशियार ना हो।