तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 7

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‘‘ तो क्या हुआ.....? अभी हुई तो नहीं......‘‘ सुविज्ञ की आवाज में दृढ़ता थी। ‘‘ सच, आज मझे इस बात का विश्वास तो हो ही गया...... के मैनें एक सही और बेहद प्यारे इन्सान से प्यार किया है...... आप कितने नर्म दिल के हैं न..... चलिए अब...... वरना कही मैं सचमुच न आपसे शादी रचा बैठू......‘‘ कहकर अप्पी उठ गई.....नीरू पर नजर पड़ी तो हंसते हुए उसे छेड़ने लगी.....