राज की बात ” दिसम्बर का द्वितीय सप्ताह लगा था . वातावरण में अच्छी सर्दी छायी हुयी थी .स्वेटर ,शाल, कोट ,पैंट , मफलर सब निकल आये थे .रिसेप्शन की दावत में लजीज भोजन ,मिठाईयों के साथ ही अनेक गर्मागर्म पेयों की बहार थी . जगह जगह तापने के लिये लकड़ियों के अलाव भी लगाये गये थे .ओल्ड इज गोल्ड . फिर भी युवतियां खुली खुली, फैशनेवल पोशाकें ,लंहगे इत्यादि पहनें बिना गर्म कपड़ों के इधर उधर घूम रहीं थीं ,मानो तितलिंयाँ उड़ी फिर रहीं हों . प्रौढ़ता की ओर अग्रसर और वयोबृद्ध दो दो