हिम स्पर्श 44

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44 “मैं भूल गई थी कि तुम यहाँ हो, मेरे साथ। मैं कहीं विचारों में खो गई थी। मैं भी कितनी मूर्ख हूँ?” वफ़ाई ने स्मित दिया, जीत ने भी। जीत ने तूलिका वहीं छोड़ दी, झूले पर जा कर बैठ गया। वफ़ाई को देखने लगा जो दूर खड़ी थी। वफ़ाई ने जीत को केनवास से झूले तक जाते देखा था। बात करने का समय आ गया है। अभी मैं जीत से बात कर सकती हूँ। लंबे समय तक मौन नहीं रह सकती मैं। वफ़ाई भी झूले के समीप गई। वह झूले पर बैठना चाहती थी किन्तु वफ़ाई