"रिश्ते कभी नहीं मरते‘‘पच्चीस वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद चन्द्रभानू उस शहर में पुनः पहुँचने वाला था। वह शहर जिसका चप्पा-चप्पा उससे परिचित था।’’सहरसा-आनन्द विहार’’, पुरबैया एक्सप्रेस में अपनी पत्नी शर्मिष्ठा और बेटी मंदाकिनी के साथ सहरसा से यात्रा शुरु की चन्द्रभानू ने। ए॰सी॰ थ्री में सीवान तक का आरक्षण मिल गया था। इसलिए यात्रियों की भीड़भार वाली पुरबैया एक्सप्रेस से यात्रा शुरु करने में कोई परेशानी नहीं हुई। ठीक 11.35 बजे दिन में पुरबैया एक्सप्रेस सहरसा से खुल गयी। पत्नी शर्मिष्ठा एवं बेटी मंदाकिनी अपने बर्थ पर चादर बिछाकर एसी के