वर्ष 1994 को आरंभ हुए तीन सप्ताह हो चुके थे। उस दिन रातभर बर्फ़बारी होती रही थी। आफिया गहरी नींद सोई हुई थी जब उसके सैल फोन की घंटी बजी। उसने अलसाते हुए ‘हैलो’ कहा। दूसरी ओर मार्लेन बोल रही थी। उसने इतना कहकर फोन काट दिया कि वह उसको एक घंटे बाद लेने आ रही है। वह तैयार रहे। आफिया ने धीरे-धीरे बिस्तर छोड़ा और उठकर कमरे में से बाहर आ गई। उसने खिड़की का पर्दा उठाकर बाहर देखा। सूरज की तेज किरणों ने उसकी आँखें चुंधिया दीं। रात यद्यपि बर्फ़ गिरती रही थी, पर इस समय सूरज निकला हुआ था। स्नो पर पड़ती धूप आँखों में चुभ रही थी। वह पर्दा गिराकर वापस कमरे में आ गई। फिर तैयार होने लगी।