‘‘मोहित तुम मौसी को तो भूल ही गये?’’ मौसी के शब्दों में उलाहना थी परंतु उनकी आंखें आनंदातिरेक से झर रहीं थीं। वह अपने घर के आंगन में मोहित को सीने से लगाये खडी़ं थीं। इतने वर्षों बाद मोहित को देखकर उनका तन-मन पिघल रहा था।