फैसला हो चुका था। प्यार पर सिद्धांत की जीत हुई। जबरन सुदीप का प्यार पाने की कोशिश में मोक्षा पहले से ही टूट गई थी। और अब सिद्धांतो की बलि चढ़कर वो सुदीप को नहीं पाना चाहती थी। बेशक मोक्षा के माता पिता को उनकी बेटी के फ़ैसले पर गर्व था पर इस फ़ैसले से मोक्षा अंदर से मरने लगी थी, उसकी जीने की इच्छा ख़त्म होने लगी थी। मोक्षा अब अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी। हर बार उसकी आंखे सुदीप की याद में नम हो जाती। मोक्षा के माता पिता जानते