लड़ते-झगड़ते चाचा-भतीजा घर लौटे। उस रात खाना भी नहीं बना, रामजस चिलम फूंककर और अमरेश ने दालमोठ खाकर काटी। वो सुबह उठा तो दरवाजे पर आकर उसने देखा दोनों गायों का स्थान खाली था। उसे अपने नाना की बात याद आयी कि रामजस सब बेच डालेंगे और अंत में भूखा मारेंगे उसको । उसकी गायें भी गयीं और वो कल भूखा भी सोया। नाना तो बात ठीक कही थी मगर आदमी ठीक नहीं थे, झूठे थे इसीलिए तो दुबारा उसकी हाल-खबर नहीं ली।