भाग – ३ सूरजने सालो बाद उनका पहला कदम कोलेज के अंदर रखा | काफी छोटा था जब वो इस कोलेज में पहलीबार आया था, आज फिर उन्हें वो दिन याद आये | उसवक्त दादाजी उसे यहाँ ले के आये थे, उन्होंने ही मुझे सड़को की दुनिया से मुक्त किया था, उसवक्त मेरी इतनी समझ थी की दुनिया के लोग जहा भी ले चले वहा चलते जाना है | मेरे बाबा हाथमें एकतारा लेके वो प्यारा सा गीत गाते थे और वो धून मुझे भी शिखाते थे | आज तेरा कोई न हो तो कल तेरा जहाँ होगा तुझे बस