काम वासना नहीं है, वह तो है प्रकृति और जीवन चक्र की स्वाभाविक प्रक्रिया, कामुकता वासना हो सकती है। काम है प्यार के पौधे के लिये उर्वरा मृदा। काम है सृष्टि में सृजन का आधार। इससे हमें प्राप्त होता है हमारे अस्तित्व का आधार। काम के प्रति समर्पित रहो वह भौतिक सुख और जीवन का सत्य है। कामुकता से दूर रहो, वह बनती है विध्वंस का आधार और व्यक्ति को करती है दिग्भ्रमित। यह सब सोचते-सोचते ही राकेश जाने कब सो गया। सुबह सूर्योदय से पूर्व ही राकेश तैयार हो चुका था। पल्लवी अपने पिता के निर्देशानुसार राकेश को