भीगे पंख - 10

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इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रणी में उत्तीर्ण कर लेने के पश्चात मोहित दिल्ली विश्वविद्यालय में बी. एस. सी. में प्रवेश लेने हेतु आया हुआ था- विश्वविद्यालय के भव्य भवन, वहां पर छात्र-छात्राओं की भीड़, उनके द्वारा पहने हुए आधुनिक परिधान आदि देखकर मोहित एक प्रकार से आतंकित सा था। वह रजिस्ट्ार आफ़िस, जहां ऐडमीशन फा़र्म बांटे जा रहे थे, पहुंचकर कांउंटर के सामने खडा़ हो गया था। वहां प्रवेशार्थियों की भीड़ देखकर मोहित घबरा गया था। फिर साहस कर उसने धीरे से फा़र्म बांटने वाले बाबू से फा़र्म मंागा, परंतु उसने सुनी अनसुनी कर दी और ज़ोर जो़र से चिल्लाकर फ़ार्म मांगने वाले छात्रों को फा़र्म बांटता रहा। मोहित जो़र से अपनी बात कहने में अपने को असमर्थ पा रहा था और इस कारण हीनता का अनुभव कर आत्म-ग्लानि से ग्रस्त हो रहा था कि तभी पुराने छात्र जैसे दिखने वाले एक व्यक्ति ने उससे पूछा,