सुना है दिल के दो हिस्से होते हैं। मेरे दिल में भी एक हिस्से में हिन्दी बसती है, तो दूसरे हिस्से में उर्दू ने भी अपनी जगह मुकम्मल कर रक्खी है। हिन्दी के हिस्से में अगर हरदुआगंज है तो वहीं दूसरे हिस्से में कासिमपुर भी है, पर उस ऊपर वाले ने भी